Did sambhaji maharaj kill a tiger-संभाजी महाराज का इतिहास
यह घटना 17 वीं शताब्दी की है, जब मराठा और मुगलों के बीच लड़ाई चल रही थी, मराठा साम्राज्य के राजा छत्रपति शिवाजी महाराज और दूसरी ओर ऑरंगजेब जो बहुत ज्यादा कुरुर राजा था वह पूरे भारतवर्ष पर अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहता था, राजा छत्रपति शिवाजी महाराज ने उसको पूरी तरह से शिकस्त दे रखी थी, पर 1680 में शिवाजी महाराज की किसी कारण से तबियत खराब होने के कारण उनका निधन हो जाता है, इस घटना से औरंगजेब बहुत खुश होता है और उसको लगता है कि वह अब मराठा साम्राज्य दक्कन पर अपना कब्ज़ा कर सकता हे
31 जनवरी 1681 में संभाजी महाराज बुरहानपुर पर हमला कर देता है जिसमें औरंगजेब को भारी हार का सामना करना पड़ता है, और संभाजी महाराज औरंगजेब को यह संदेश भेजते हैं शेर नहीं रहा लेकिन शेर का बच्चा छावा अभी जिंदा है.
संभाजी महराज का -राज्य अभिषेक(Did Sambhaji Maharaj kill a tiger? क्या संभाजी महाराज ने बाघ को मारा था?)
इसके बाद संभाजी की सेना अपने घर राजगढ़ में वापस लौट आती है, जहां उनका राज्य अभिषेक होता है, और उन्हें मराठा साम्राज्य का छत्रपति घोषित कर दिया जाता है.
लेकिन इस बात से संभाजी महाराज की दूसरी माता सोयराबाई बिल्कुल खुश नहीं थी, सोयराबाई और शिवाजी महाराज से उनका एक दूसरा पुत्र था जिसका नाम राजाराम था, सोयराबाई अपने पुत्र राजा राम को मराठा का राजा बनना चाहती थी, इसलिए सोयराबाई अपने कुछ लोगों से मिलकर संभाजी महाराज के कत्ल की साजिश रचती हैं, इस साजिश को पूरा करने के लिए सोयराबाई औरंगजेब के बेटे मिर्जा अकबर से सहायता मांगती है, मिर्जा अकबर, औरंगजेब का बेटा था वह औरंगजेब को मार कर खुद शहंशाह बनना चाहता था, इसी वजह से औरंगजेब भी अपने बेटे का दुश्मन बन चुका था और उसे ढूंढ कर मार देना चाहता था, इसलिए सोयराबाई, मिर्जा अकबर को सूचना देते हुए यह कहती हैं अगर वह संभाजी को मारने में उनकी मदद करते हैं, तो वह औरंगजेब को मारने में उनकी मदद करेगी और दक्कन में कुछ जमीन भी उनको देंगी, पर मिर्जा अकबर सोयराबाई को धोखा देते हुए यह सारी साजिश संभाजी महाराज को बता देता है, इसके बदले संभाजी महाराज मिर्जा अकबर को औरंगजेब से बचने के लिए वचन देते हैं और दक्कन में छुपाने के लिए इजाजत देते हैं, अपने महल में चल रही साजिश से संभाजी महाराज बहुत क्रोधित होते हैं, और साजिश करने वाले सभी साथियों को मृत्यु दंड देते हैं पर वह सोयराबाई को कुछ नहीं कहते, लेकिन सोयराबाई के भाई हमबीर राव मोहिते जो की मराठा राज के सेनापति थे, वह इस गद्दारी के लिए उनको बहुत खड़ी खोटी सुनाते है, हमबीर राव मोहिते मराठा राज के वफादार सेनापति थे.
सोयराबाई अपने बेटे को राजा बानाना चाहती थी पर उनकी यह इच्छा पूरी न होने के कारण वह बीमार रहने लागि ओर कुछ ही समय बाद उनका देहान्त हो जाता है.
ओर वही ऑरगजेब मराठाओं के हमले से बहुत गुस्सा था, उनसे बदला लेने के लिए वह मराठाओं पर, दिल्ली से लाखों की सेना लेकर दक्कन की ओर निकल जाता है, जब औरंगजेब बुरहानपुर पहुँचता है तब वह देखता है कि मराठाओं ने वह शहर पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था, जिस से औरंगजेब बोखला जाता है और दक्कन मे पहुँचकर वहा के अलग अलग शहरों में वहा की जनता को मारने ओर लूटने लगता है, यह खबर जेसे ही संभाजी को पता चलती है तब संभाजी महराज मामा हमबीर राव मोहिते ओर अपने साथियों से मिलकर एक योजना बनाते है, इस योजना के तहत संभाजी महाराज औरंगजेब पर छुपके वार करने की योजना बनाते है, क्योंकि औरंगजेब के सामने संभाजी के पास बहुत कम सेनीक थे.और फिर संभाजी महराज औरंगजेब की सेना पर छुपकर वार करते है, जिस से ऑरनगजेब की सेना कमजोर हो जाती है, वही ऑरनगजेब के पास इतनी बड़ी सेना होने के बाद भी वाह बेबस हो गया था, और दूसरी तरफ औरंगजेब, संभाजी को हारने की दूसरी योजना बनाता है, इसी दौरान हमबीर राव मोहिते वीरगति को प्राप्त हो जाते है, जिस से संभाजी महराज को भारी झटका लगता है, वही ऑरनगजेब जो मराठो को कुछ नहीं बिगड़ पा रहा था तब वह पेसो का लालच दे कर मराठो के कुछ राज्ये मंत्रियों को अपने साथ कर लेता है, जिस से मराठा साम्राज्य कमजोर होने लग्गा है, तब संभाजी महाराज सभी राज्ये मंत्री से मिलकर उन्हे समझाना चाहते थे,जिस से सभी राज्ये मंत्री उनके साथ हो जाए ओर यह बैठक संगमेश्वर शहर मे होने वाली थी, पर महराज मुगलों के बीच एक झुटी खबर फेलो देते है की यह बैठक अकलुज शहर मे होगी,जिस से ऑरगजेब अपनी सारी सेना वाहा भेज दे ओर वह अकेला रह जाए, पर ऑरनगजेब को संभाजी महराज की योजना का पता चल जाता है ओर वह अपनी 5 लाख सेना संभाजी को मारने भेज देता है, वही संभाजी महराज केवल 150 सेनीक के साथ ऑरनगजेब से लोहा लेते है,
Did sambhaji maharaj kill a tiger-क्या संभाजी महाराज ने बाघ को मारा था?
आंत मे संभाजी महराज को कैदी बनालिया जाता है, संभाजी महराज को कैद मे कई प्रकार की यतनाए दि जाती है, ऑरनगजेब ने संभाजी से कहा अगर तुम अपना धर्म बदल कर मेरे साथ मिल जाते हो तो मे तुम्हें छोड़ दूँगा, पर संभाजी महराज ने ऑरनगजेब का यह प्रास्ताव ठुकरा दिया, तब ऑरनगजेब ने सांभाजी महाराज को भूखे शेर के सामने छोड़ दिया, तब संभाजी ने अपने बाहू बाल से शेर को भी मार गिराया, यह देख ऑरनगजेब अंदर से काप गया, अंत मे संभाजी महाराज 40 दिन तक यातना सहने के भाद 11/03/1679 को वीर गति को प्राप्त होते है, यह खबर संभाजी की पत्नी येसूबाई को पता चलती है तब वह 19 साल के राजाराम को छत्रपति घोषित कर देती है, मुगल यह सुनकर हारा सा महसूस करता है ओर कुछ समय बाद मुगलों को दक्कन छोड़ के जाना पड़ता है.
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