Court State Vs A Nobody
इस कहानी की सुरुआत कोर्ट रूम से होती है जहां चन्द्रशेखर जो 19 साल का एक लड़का है उसे कोर्ट रूम में लाया जाता है, चन्द्रशेखर पर POCSO एक्ट का जुर्म लगया गया था (यानि 18 साल से कम बचे के साथ शाररिक शोषण करना), यहां एक व्यक्ति मंगापति द्वारा लगाया गया था जिसका केस दामोदर नाम का एक वकील लड़ रहा था, इस कोर्ट में दामोदर बताता है की यहां लड़का दोषी है और इसको कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, दूसरे ओर चन्द्रशेखर का वकील शिवराम कुछ नहीं बोलता बस एक दस्तावेज पडकर बेठ जाता है , जज यह सब दलील सुनने के बाद, 4 दिन बाद की दूसरी तारीख दे देता है, और वही से चन्द्रशेखर को फिर से जेल में डाल दिया गया, चंदू के परिवार वालो या दोस्तों को यह पता था कि चंदू बे-कसूर है उसको इस केस में फंसाया जा रहा था ।

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चन्द्रशेखर के दोस्त और परिवार वाले चन्द्रशेखर को बचाने के लिए दूसरे वकील को डुंडते हैं पर POCSO एक्ट लगे होने की वजह से कोई भी वकील केस लड़ने के लिए तैयार नहीं होता, हर वकील यहीं बोलता है कि इस केस मे चन्द्रशेखर का बचना नामुमकिन है, तब चन्द्रशेखर के माता पिता मोहन रॉ, वकील के पास जाते हैं वाह भी इस केस को लेने से मना कर देता है, पर मोहन रॉ का एक असिस्टेंट होता है सूर्या जिसने आज तक कोई केस नहीं लड़ा था, वाह मोहन रॉ से बोलता है कि सर ये केस लेलो मुझे लगता है कि लड़का बेकसूर है, अगर आप ये केस लड़ना नहीं चाहते तो मुझे दे दो, तब मोहन रॉ कहता है कि अगर तुम मेरे 3 सवालो का जवाब दे दो तो मैं ये केस तुम्हें दे दूँगा, पर सूर्या मोहन राव के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पता, और निराश होकर चला जाता है, पर सूर्या ने इस केस को लड़ने का पूरा मन बना लिया था, तब मोहन राव से छुपाकर और कुछ नकली दस्तावेज़ बना कर यह केस लड़ने के लिए तैयार हो जाता है।
कोर्ट रूम में जज सूर्या वकील से पूछते हैं कि तुमने इस केस को अंत समय पर क्यों लिया , तब सूर्या जज से कहते हैं कि, चंद्रशेखर को फंसाया जा रहा है वह सिर्फ़ सच्ची सामने लाना चाहता है, और सूर्या जज से थोड़ा समय मांगता है जिससे वह सच्चाई को सामने ला सके, इस पर जज भी कुछ दिनों की और मोहलत दे देता है

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इस पर लड़की का मामा बहुत गुस्से में आजता है और सूर्या से कहता है कि मैं चंदू को सज़ा दिलाकर रहूंगा, तब मांगपति एक नई चाल चलता है, और कोर्ट मे एक वीडियो शेयर करता है की, जिस मे चंदू जबेली को एक कमरे में ले जाता है, और 16 मिनट बाद उस कमरे से बहार निकलता है, इसके साथ वह कुछ तस्वीरें भी दिखाता है जिस मे चंदू मेडिकल से प्रोटेक्शन ले रहा होता है, और एक फोटो मे चंदू, जबेली को बाइक पर बैठा कर ले जा रहा होता है, यह सब दिखते हुए मंगलापति एक कहानी रचता है कि चंदू मेडिकल से प्रोटेक्शन लेता है है फिर जबेली को बाइक पर बैठा कर एक रूम पर ले जाता है और जबेली के साथ दुश करम कर के बाहर आता है, इस कहानी ने चंदू को दोषी बना दिया था, और जज ने दूसरी तारीख पर फेसला सुनने की बात कही, यह सब देख सूर्या चंदू के माता पिता या दोस्तो पर बहुत गुस्सा होता है, सूर्या को इसकी कुछ भी खबर नहीं थी, और सूर्या इस केस को छोड़ने को बोलता है, तब सूर्या के माता पिता बहुत रोने लगते हैं और सूर्या को मनाते हैं कि वाह यह केस ना छोड़े, तब सूर्या चंदू के माता पिता को रोता देका मान जाता है और पूरा सच सुनने के लिए चंदू से बात करता है,
तब चंदू बताता हैं कि कुछ समय पहले जबेली के रिश्तेदार की शादी थी, जिस मे जबेली जाती आती है, और चंदू से बोल देती है कि वाह कुछ दिनों तक नहीं मिल पायेगी, पर जबेली का मन नहीं मानता और वह चंदू को मिलने के लिए अपने पास बुला लेती है और वाहा चुपके से एक कमरे में मिलते है, यह सब जबेली के मामा को पता चल जाता है और वाह चंदू को सबक सिखाने के लिए सीसीटीवी की फुटेज अपने पास रख लेता है और अपने किसी गुंडे को चन्द्रशेखर के पीछे लगा देता है, वाहा चंदू की बहुत सी फोटो खींची जाती है और उन सबको मिला कर जबेली का मामा एक कहानी तैयर करता है, सूर्या इस कहानी को कोर्ट मे गलत साबित कर देता है, तब सूर्या जबेली को कोर्ट मेबुलाने की अनुमति मांगता है, पर मंगलापति डॉ. के साथ मिलकर यह बताता है,कि जबेली अभी मानसिक रूप से ठीक नहीं है, पर मंगलापति यह जान गया था कि आज नहीं तो कल जबेली को कोर्ट लाना पड़ेगा, इस लिए वह जबेली और उसकी मां को धमकाता हुआ कहता है कि वह चंदू को कोर्ट मे दोसी कहे वरना वह दोनों को मार देगा, तब कोर्ट रूम मे सूर्या, डाॅ. से कई सवाल पूछता है और सारी रिपोर्ट फ़र्ज़ी साबित कर देता है, जिस से जज जबेली को कोर्ट में पेश करने का आदेश देता है, और जब जबेली कोर्ट में आती है,
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तब वह बताती है कि, उस दिन चन्द्रशेखर को मैंने ही बुलाया था और चंदू ने कमरे में कोई गलत काम नहीं किया था, हम तो बस शादी करने का नाटक कर रहे थे, हम यहां देखना चाहते थे कि शादी करने पर केसा लगता है, यहा जबेली जुठ ना बोल सकी क्यो कि वह चन्द्रशेखर से बहुत प्यार करती थी, और वही मंगलपति यह सब देख कर बहुत गुस्सा होता है पर कुछ नहीं कर पाता है, जज चन्द्रशेखर को आज़ाद कर देता है, और चन्द्रशेखर सूर्या का बहुत बहुत धान्यवाद देता है।